का एक शहर प्रकृति एवं मानवीय रचनाओं से समृद्ध अपने के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां की हवेलियों और महलों की भव्यता को देखकर दुनिया भर के मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। यहां के लोग, उनका व्यवहार, यहां की संस्कृति, लोक गीत, लोक-नृत्य, पहनावे, उत्सव एवं त्योहारों में ऐसा आकर्षण है कि देशी-विदेशी पर्यटक, फोटोग्राफर, लेखक, फिल्मकार, कलाकर, व्यावसायी सभी यहां खिंचे चले आते हैं। 

अपनी पुरानी राजधानी चित्तौड़गढ़ पर मुगलों के लगातार आक्रमण से परेशान होकर महाराणा उदय सिंह ने पिछौला 
के तट पर अपनी राजधानी बनाई जिसे उदयपुर नाम दिया गया। 

शानदार बाग-बगीचे, झीलें, संगमरमर के महल, हवेलियां आदि इस शहर की शान में चार चांद लगाते हैं। अरावली की पहाड़ियों से घीरे और पांच मुख्य झीलों के इस शहर को देखने या घुमने-फिरने के लिए उत्तम समय वैसे तो सितंबर से अप्रैल का महीना उत्तम है। 
पिछौला झील के पूर्वी किनारे पर बने विशालकाय और भव्य की परछाई से मन रोमांचित हो उठता है। यह महल राजस्थान का है। इस परिसर के तीन महल-दिलखुश, बारी व माती तथा सूरज गोखुर, मोर चौक है। 


पवित्र धूनी माता व राणा प्रताप का संग्रहालय भी इस परिसर के दर्शनीय स्थल हैं। इसके अतिरिक्त सिटी पैलेस के नजदीक ही भव्य जगदीश मंदिर भी है। इस मंदिर के नजदीक ही अठारहवीं सदी में बना सहेलियों का बाग है। 

इसके अतिरिक्त फतेह सागर झील, कृष्णा विलास, दूध तलाई, सज्जन निवास, गुलाब बाग, जग मंदिर, सज्जनगढ़ महल, कुंभागढ़ का किला, रनकपुर का जैन मंदिर और भारतीय लोक कला संग्रहालय हैं। 
उदयपुर में प्रमुख आकर्षण का केंद्र है जो सन 1743-1746 के मध्य बनाया गया था। इसे देखकर लगता है मानो यह महल पिछौला झील में तैर रहा है। 

कैसे पहुंचें : 
राज्य की राजधानी जयपुर से उदयपुर की दूरी लगभग 400 किमी दूर है। जबकि दिल्ली से यह लगभग 665 किमी और अहमदाबाद से 250 किमी है। 
यहां आने वाले पर्यटकों के लिए हवाई मार्ग से लेकर सड़क और रेल जैसे किसी भी मार्ग से आने में कोई परेशानी नहीं है। शहर में होटलों और रेस्तरां आदि की भी कोई कमी नहीं है

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